मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का चरित्र चित्रण।

 मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का चरित्र चित्रण।


भारतीय वैदिक संस्कृति में जन्मे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम एक महान चरित्र हैं उनका जीवन अपने आप में एक निर्देश है कि कैसे एक भाई को भाई से एक पत्नी को पति से और समाज के सभी संबंध इन के चरित्र में समाए हुए हैं यह महान चरित्र भारतीय संस्कृति को सदियों से उसकी श्रेष्ठता और इस देश की समृद्धि का निर्देशन करते हुए आया है।



चैत्र शुक्ल नवमी आर्यों व हिन्दुओं का ही नहीं अपितु संसारस्थ सभी विवेकशील लोगों के लिए आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी का जन्म दिवस पर्व है। इस पर्व को श्री रामचन्द्र जी के भक्त अपनी अपनी तरह से सर्वत्र मनाते हैं। हम वैदिक धर्मी आर्य हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी वैदिक धर्म के साक्षात क्रियात्मक सत्य इतिहास रूप हैं। उन्होंने ईश्वरीय ज्ञान वेदों द्वारा स्थापित सभी मर्यादाओं का पालन किया और यह सिद्ध किया कि वैदिक शिक्षायें पुस्तकीय ज्ञान न होकर वह पूरा का पूरा जीवन में धारण व पालन करने योग्य है।


 आज श्री राम का जन्म दिवस पर्व हमें यह अवसर देता है कि हम उनके जीवन के गुणों का चिन्तन व मनन करें और देखें की हममें उनकी तुलना में क्या कमियां हैं। यह मनुष्य जीवन सर्वव्यापक व सर्वज्ञ ईश्वर, जो श्री राम चन्द्र जी के भी उपास्य थे, ने हमें अन्यान्य वा सभी गुणों को धारण करने तथा असत्य व अवगुणों को छोड़ने एवं उन्हें दग्धबीज करने के लिए दिया है। जो ऐसा करते हैं वह ईश्वर के प्रिय बनते हैं और धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होकर जीवन के ध्येय व लक्ष्य को प्रापत करते हैं। आज की आधुनिक संस्कृति खाओं, पीयों, जीओं में विश्वास रखती है। इसको मानने वाले लोक परजन्म में घोर अन्धकार को प्राप्त होकर जन्म व मृत्यु के बन्धन में पड़कर दुःखसागर में जन्म-जन्मान्तर में अपने कर्मों का भोग करते रहते हैं।


 वेद सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर प्रदत्त वह ज्ञान है जिससे मनुष्य की सर्वांगीण उन्नति होती है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम वह आदर्श मनुष्य वा महापुरुष थे जिन्होंने अपने जीवन को वेदमय बनाकर वेद की हर शिक्षा का यथावत् पालन किया था। हम यहां यह भी वर्णन कर दें कि श्री रामचन्द्र जी ईश्वर के अवतार नहीं अपितु ईश्वर के सच्चे भक्त, उपासक, आज्ञापालक, वैदिक गुणों के श्रेष्ठ आदर्श व उदाहरण तथा विश्व के सभी युवाओं व वृद्धों के सबसे बड़े रोल माडल आदर्श महापुरुष हैं। जो भी मनुष्य उनके जीवन को अपनायेगा वह इस संसार रूपी भवसागर में डूबेगा नहीं अपितु तैर कर पार लग सकता है। यह भी बता दें कि राम-राम के नाम का जप करने से लाभ नहीं होगा अपितु श्री रामचन्द्र जी जैसा बनने से ही हमें लाभ होगा।


 श्री रामचन्द्र जी का जीवन आदर्श जीवन था। आर्य विद्वान पं. भवानी प्रसाद जी ने उनके विषय में लिखा है कि ‘इस समय भारत के श्रृंखलाबद्ध इतिहास की अप्राप्यता में यदि भारतीय अपना मस्तक समुन्नत जातियों के समक्ष ऊंचा उठा कर चल सकते हैं, तो महात्मा राम के आदर्श चरित की विद्यमानता है।



 यदि प्राचीनतम ऐतिहासिक जाति होने का गौरव उनको प्राप्त है तो सूर्य कुल-कमल-दिवाकर राम की अनुकरणीय पावनी जीवनी की प्रस्तुति से। यदि भारताभिजनों को धर्मिक सत्यवक्ता, सत्यसन्ध, सभ्य और दृढ़व्रत होने का अभिमान है तो प्राचीन भारत के धर्म प्राण तथा गौरवसर्वस्व श्री राम के पवित्र चरित्र की विराजमानता से।’ पं. भवानी दयाल जी आगे लिखते हैं।


‘यदि पूर्ण परिश्रम से संसार के समस्त स्मरणाीय जनों की जीवननियां एकत्र की जायें तो हम को उन में से किसी एक जीवनी में वह सर्वगुणराशि एकत्र न मिल सकेगी, जिस से सर्वगुणागार श्रीराम का जीवन भरपूर है। आज हमारे पास भगवान् रामचन्द्र का ही एक ऐसा आदर्श चरित्र उपस्थित है जो अन्य महात्माओं के बचे बचाये उपलब्ध चरित्रों से सर्वश्रेष्ठ और सब से बढ़कर शिक्षाप्रद है। वस्तुतः श्रीराम का जीवन सर्वमर्यादाओं का ऐसा उत्तम आदर्श है कि मर्यादा पुरुषोत्तम की उपाधि केवल उन के लिए रूढ़ हो गई है। जब किसी को सुराज्य का उदाहरण देना होता है तो ‘‘रामराज्य” का प्रयोग किया जाता है।

 इसके बाद पंडित जी श्री रामचन्द्र जी के गुण, कर्म व स्वभाव का वर्णन करते हुए जो लिखा है वह स्मरण व कण्ठ करने योग्य है। इसके अनुरूप ही उनके सभी भक्तों व अनुयायियों का जीवन होना चाहिये। यदि ऐसा नहीं है तो हमें लगता है कि उनका रामचन्द्र जी की भक्ति करना व उन्हें अपना आदर्श मानना उपयोगी व सार्थक नहीं है।


 ॥ पाखंड छोडे आओ वेद विद्या ग्रहण करे ॥
॥ सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय ॥
  ॥आओ लोट चल वेदो की ओर ॥

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