ध्वनि प्रदूषण एक सामाजिक कुरीति।

ध्वनि प्रदूषण एक सामाजिक कुरीति।




शांति एक ऐसी चीज है जो हर जीव की कामना होती है। हर जीव चाहता है कि वह शांति पूर्वक अपना जीवन बिताएं हमारे संविधान में भी यह एक मूल अधिकार है हमारा संविधान सभी देशवासियों को शांति से रहने का अधिकार देता है लेकिन बढ़ती हुई कट्टरता और गिरती हुई बौद्धिक क्षमता आज विनाश का कारण बन गई है। 

हमारे शास्त्रों में लिखा है कि अगर आपको परमात्मा की प्राप्ति करनी है और मोक्ष को प्राप्त करना है। अष्टांग योग के माध्यम से हम मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। परंतु आज के समय में बिल्कुल उल्टा हो रहा है प्रत्यय व्यक्ति अपने मत पंथ मजहब संप्रदाय को चिल्ला कर बताना चाहता है। जिससे लोगों की उनकी शांति भंग हो रही है प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में जब व्यक्ति सुबह उठता है। तो एक तरफ तो मुल्ला चिल्लाता है।

तथा दूसरी तरफ मंदिरों में घंटे घड़ियाल की तेज आवाज में भयंकर ध्वनि प्रदूषण होता है। कुल मिलाकर माहौल ऐसा हो जाता है जैसे रण भूमि में युद्ध हो रहा हो। इसे हम मात्र एक कट्टरता ही कहेंगे और कुछ नहीं क्योंकि परमात्मा की प्राप्ति तो ऐसे होगी नहीं। इस प्रकार के क्रियाकलापों से मनुष्य तो क्या जीव-जंतु भी बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं तथा उनकी शांति भंग होती है। एवं यह उनके प्राकृतिक जीवन को असंतुलित करता है।


 बहुत तेज आवाज में बजते हुए लाउडस्पीकर पूरे माहौल को दूषित कर देते हैं। यह एक सामाजिक कुरीति है इसे हमें बंद करना होगा और हम सभी को आवाज उठानी होगी हम सभी को इसके बारे में गहनता से सोचना होगा और इसे जल्द से जल्द बंद करना होगा जिससे सभी प्राणी शांति से अपना जीवन व्यतीत कर सकें और शांतिपूर्ण जीवन सभी का अधिकार है।

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